Friday, 30 October 2020

समस्या के वियोग से बेहतर है समाधान तकनीक का प्रयोग

 नमस्कार दोस्तों 

आज हम जीवन में आने वाली कई समस्याओं के समाधान तथा निराकरण के बारे में चर्चा करेंगे। सामान्य तौर पर हम सामाजिक प्राणी है और सामाजिक प्राणी होने के नाते हम अपने रिश्तो में अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, साथी कर्मचारियों को कभी ना कभी कोई ना कोई सलाह अवश्य देते हैं। यह सलाह उनके जीवन में आई समस्याओं के हल के रूप में अथवा समाधान के रूप में दी जाती है। लेकिन कई बार हमारा सुझाव समस्या के निदान के रूप में ना होकर समस्या के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में होता है।

हम अक्सर जाने अनजाने में भावावेश में आकर तथा पारिस्थितिकी भिन्नता को समझे बगैर त्रुटिपूर्ण सुझाव दे देते हैं। इन सुझावों से जहां समस्या ग्रस्त व्यक्ति को फायदा होना चाहिए लेकिन हमारे द्वारा सुझाया गया प्रतिक्रिया सुझाव मान कर व्यक्ति स्वयं को उस समस्या से और अधिक उलझा हुआ पाता है।

 ऐसे में आज हम यह बात करेंगे कि जीवन में आने वाली समस्याओं को किस प्रकार समझे, किस प्रकार उनका निदान करें और समस्याओं के प्रति अपना दृष्टिकोण कैसा रखें । क्योंकि आपके दृष्टिकोण, आपके व्यवहार,आपके तथ्यों को विश्लेषण करने की शक्ति और अन्वेषण की शक्ति  के आधार पर ही समस्या का निवारण एवं निराकरण संभव है ।  

आपको यहां पर दो शब्दों पर गौर करना होगा अन्वेषण एवं विश्लेषण अर्थात आपको सबसे पहले तथ्यों की जानकारी, तथ्यों को जुटाना तथा तथ्यों की परख करना भी आना चाहिए अन्वेषण के अंतर्गत समस्या को सूक्ष्म रूप से देखना एवं उसको विभिन्न खंडों में विभाजित करके समझना सम्मिलित हैं विश्लेषण के अंतर्गत प्रत्येक विभाजित खंड की अपनी परिभाषा प्रकृति एवं विशेषता को समझना सम्मिलित है। इसकी विस्तृत चर्चा आगे मनोवैज्ञानिक प्रविधियों में की गई है।

आइए अब चर्चा करते हैं समस्या के निवारण की प्रविधि के कुछ प्रमुख चरण कौन से हैं ।


  1. पहला चरण समस्या क्या है ? समस्या को समझना -

समस्या को समझना बहुत ही आवश्यक है पहले चरण में समस्या क्या है उसकी प्रकृति क्या है इसको समझना है । साथ ही सबसे प्रमुख बात यह है कि हर समस्या को समझने में व्यक्ति अपने ज्ञान एवं अनुभव का उपयोग करता है एवं हर व्यक्ति का ज्ञान एवं अनुभव भिन्न भिन्न होता है। इसलिए एक ही समस्या के प्रति हर व्यक्ति अलग-अलग प्रकार से प्रतिक्रिया कर पाता है। आपको अपनी समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए यह भी सोचना होगा कि क्या यह समस्या किसी और व्यक्ति की आंखों से उसी प्रकार देखी जाएगी जिस प्रकार यह मेरे लिए प्रतीत होती हैं ? क्या इस समस्या का रिश्ता हर उस व्यक्ति से जो मुझे सुझाव दे रहा है वैसा ही है जैसा मेरा है?

इसके लिए मैं एक उदाहरण रख रहा हूं जैसे की किसी संयुक्त परिवार में जिसमें किसी पति पत्नी के दो बच्चे एवं उनकी पत्नियां एवं उनके बच्चे साथ रहते हैं ऐसे में मुखिया व्यक्ति की पत्नी की मृत्यु हो जाती है तो प्रथम व्यक्ति के लिए समस्या है कि उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई परंतु उसके पुत्रों को माता के खोने का दर्द सताएगा एवं पुत्र वधुओं को अपनी सास को खोने का दर्द सताएगा, हो सकता है उन्हें वैसा दर्द ना भी हो, बच्चों को अपनी दादी को खोने का दर्द हो सकता है यह सब उनके आपसी रिश्तो पर निर्भर करता है। ऐसे में परिवार के एक व्यक्ति के जाने से हर परिवारजन ने कुछ ना कुछ खोया अवश्य हैं लेकिन उनका उस एक व्यक्ति से रिश्ता अलग अलग है  एवं उनके भाव भी अलग-अलग है। ऐसे ही आपके जीवन में आने वाली समस्या का रिश्ता आपसे कुछ और है और आपके पड़ोसी या दोस्तों अथवा रिश्तेदारों से बिल्कुल अलग। कुछ समस्याएं ऐसी होती है जो सिर्फ और सिर्फ आपको ही प्रभावित करने वाली होती है ऐसे में जहां समस्या से होने वाले सारे नुकसान एवं फायदे के लिए आप ही जिम्मेदार हैं ऐसे में आपके निकट मित्र के सुझाव से आप अपने जीवन में आयी समस्या के लिये अपने समय व प्रयासों को दांव पर नहीं लगा सकते हैं ।

कई बार जीवन में आपको ऐसा भी महसूस होगा कि यह समस्या तो कई लोगों को है लेकिन फिर भी आपके पारिस्थितिकी के अनुरूप ही उस समस्या को समझा जा सकता है। किसी भी समस्या को समझने में कई तथ्य भी सम्मिलित होते हैं जिनको हमें जानना होता है। कि यह समस्या मेरे लिए कितनी प्रबल है? यह मुझे किस तरीके के संघर्षों के लिए बाधित करती हैं, 

समस्या की प्रकृति क्या है? क्या समस्या व्यक्तिगत है पारिवारिक है अथवा सामाजिक है । क्या समस्या मानसिक, शारीरिक अथवा आर्थिक है या उसकी प्रकृति कुछ और तरीकों से चुनौती उत्पन्न करती हैं। 

कुछ समस्याएं छद्म रूप वाली भी होते हैं जो आपको ऊपर से कुछ और नजर आएगी लेकिन जब आप उस समस्या को और बारीकी से देखेंगे तो आपको वह समस्या कुछ और नजर आएगी इसमें आपकी अन्वेषण क्षमता का भी उपयोग हो सकता है और आपकी विश्लेषण क्षमता का भी।



  1. दूसरा चरण समस्या के प्रमुख कारण क्या क्या है ?

 समस्या समाधान में दूसरा चरण समस्या के कारणों को समझने का है इसके अंतर्गत आप स्वयं से कुछ सवाल पूछ सकते हैं जैसे यह समस्या क्यों है, समस्या कहां है, समस्या का संबंध किससे है, समस्या के कारण क्या है ? तथा इन कारणों का समस्या से सहसंबंध कैसा है ? यदि समस्या ऐसी हैं जिसके प्रभाव वर्तमान में परंतु घटना के कारण भूतकाल में है तब भी इस चरण का पालन करते हुए हम भविष्य की रणनीति तय कर सकते हैं । कभी कभी कुछ समस्याएं ऐसी भी होती है जिनका  पूर्ण रूप से समाधान प्राप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन उनका संतुलन एवं समायोजन अवश्य ही किया जा सकता है। 

माना कि घर में एकमात्र रोजगार प्राप्त करने वाला कोई व्यक्ति हैं और यदि वह बेरोजगार हो जाता हैं तो ऐसे में  उसके जीवन मे कई समस्याओं का प्रवेश होता है।  

क्या यहां बेरोजगारी एक समस्या है, नहीं यह तो एक प्रभाव है, मान लिजिये की उस व्यक्ति मै कंप्यूटर कौशल ना होने की वजह से उसे नौकरी से निकाला गया है अब ऐसे में उसकी समस्या उसकी कार्यक्षमता एवं कौशल है।

यहाँ कारण का ज्ञान हुआ है अब उसके प्रभाव क्या-क्या हो सकते हैं उसका अध्ययन करेंगे और यह देखेंगे कि ऐसी क्या परिस्थिति आई जिसकी वजह से व्यक्ति बेरोजगार हो गया। माना कि यह ज्ञात होता है कि उस व्यक्ति कि कंपनी ने स्वयं को कंप्यूटरीकृत किया है ऐसे में तकनीकी परिवर्तन की वजह से वहां काम करने वाले व्यक्तियों से तकनीकी ज्ञान की अपेक्षा की जाने लगी इससे पहले सभी कार्य मैनुअल होते थे लेकिन तकनीकी विकास के कारण अब उन्हें कंप्यूटर कौशल की आवश्यकता बढ़ गई है । और यही कंप्यूटर कौशल ना होने की वजह से उक्त व्यक्ति को नौकरी से निकाला जाता है।

अब इस समस्या से अर्थात बेरोजगारी से प्रभाव आर्थिक है तथा रोजगार ना होने की वजह से होने वाली मानसिक समस्या है । यहाँ आता है अगला चरण।


  1. तीसरा चरण इस समस्या से क्या प्रभाव हमारे जीवन में पैदा होने वाले हैं या हो रहे हैं ?

इस चरण के अंतर्गत आप समस्या से वर्तमान में अथवा भविष्य में होने वाले या पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी विचार कर सकते हैं । यदि आप भूतकाल में आई किसी समस्या के बारे में अध्ययन कर रहे हैं तो भी आपको कारण और प्रभाव संबंधों का अध्ययन करना पड़ेगा। इस व्यक्ति के जीवन में बेरोजगारी से कई प्रकार की मानसिक एवं आर्थिक समस्याएं आ गई है एवं इसके प्रभाव काफी व्यापक रूप से देखे जा सकते हैं जैसे कि वह अपने बच्चों की स्कूल फीस ना दे पाए, जैसे कि वह अपने घर के विभिन्न खर्चे भी पूरे ना कर पाए। यह समस्या गंभीर प्रभावों वाली समस्या है कई बार व्यक्ति के जीवन में लघु प्रभाव वाली समस्याएं भी होती है। जिन पर व्यक्ति अपनी व्यस्तता के कारण ध्यान ना दें वह भी चल जाता है लेकिन यह एक ऐसी समस्या है जिससे व्यक्ति के जीवन मैं बहुत व्यापक प्रभाव पड़ता है। अतः इस पर अति शीघ्र ही निर्णय लेना पड़ेगा और निर्णय अनुरूप आपको कार्य भी करना पड़ेगा।


  1. चौथा चरण इस समस्या के क्या-क्या समाधान हो सकते हैं?

 समस्या समाधान का चौथा चरण समस्याओं के लिए उपलब्ध सभी समाधानो का आकलन करना है इस चरण के अंतर्गत यह देखना होता है कि व्यक्ति के पास क्या-क्या अवसर अथवा समाधान उपलब्ध है कई बार तो व्यक्ति को इस हेतु तथ्यों का संकलन भी करना पड़ता है। विभिन्न तथ्यों के आधार पर व्यक्ति यह पता कर सकता है कि उक्त समस्या के क्या-क्या संभावित समाधान हो सकते हैं, जो उसे या तो समस्या के नकारात्मक परिणामों से बचाएं अथवा उसे ऐसी किसी समस्या का सामना ही ना करना पड़े। 

 उपरोक्त उदाहरण के अनुसार व्यक्ति के पास कुछ निम्न प्रकार के रास्ते उपलब्ध हैं जैसे कि वह ऐसे ही किसी कंपनी में कार्य करें जो आज भी मैनुअल तौर तरीकों से कार्य करती हो दूसरा वह अपने कंप्यूटर कौशल का विकास करें और पुनः अपने अनुभव के आधार पर पुरानी कंपनी में कार्य ग्रहण करें इस हेतु उसके सामने कंप्यूटर कौशल सीखने हेतु क्या अवसर अथवा समाधान उपलब्ध है परंतु यहां समस्या यह है कि जब तक वह यह कंप्यूटर कौशल हासिल करें तब तक वह अपना जीवन यापन बेरोजगारी में कैसे करें साथ ही क्या उसे कंप्यूटर कौशल हासिल करने हेतु फीस जमा करवानी होगी अथवा वह मुफ्त शिक्षा द्वारा या कौशल विकास केंद्रों पर जाकर यह कंप्यूटर कौशल सीख सकता है यहां पर व्यक्ति के पास कई प्रकार के समाधान एवं अवसर उपलब्ध है ऐसी अवस्था में अगले चरण में यह देखा जाएगा कि उपलब्ध विभिन्न समाधान में से कौन से समाधान को चयन किया जाए।


  1. पांचवा चरण समाधान का तर्कसंगत चयन

पांचवा चरण समाधान के तर्कसंगत चयन का है। यहां तर्कसंगतता से तात्पर्य विवेकशील एवं युक्ति पूर्ण उपलब्ध समाधान में से श्रेष्ठ समाधान अथवा अवसर का चयन। समाधान के श्रेष्ठता के आकलन की विभिन्न विधियां हैं इन विधियों के आधार पर यह देखा जाता है कि कोई समाधान कसौटी पर कितना खरा उतरता है।


यहां मैं मनोवैज्ञानिको द्वारा बताई गई समस्या समाधान की विधियों की भी चर्चा करना चाहूंगा। इसमें 

पहली एल्गोरिदम एप्रोच तथा 

दूसरी ह्यूरिस्टिक अप्रोच भी सम्मिलित है। 

एल्गोरिदम एप्रोच के अंतर्गत पूर्व निर्धारित नियमों तथा चरणबद्ध तरीके से समस्या के समाधान तक पहुंचा जाता है। इसके अंतर्गत प्रमुख रूप से रेंडम सर्च और सिस्टमैटिक सर्च की प्रविधियो का उपयोग समस्याओं के समाधान हेतु किया जाता है। इन विधियों से समस्या के समाधान कि निश्चिता होती हैं। दूसरा प्रकार है ह्यूरिस्टिक अप्रोच अथवा जिसे अनुमान पहुंच भी कहा जाता है इसके अंतर्गत अनुमान के आधार पर समस्या का समाधान करने का प्रयत्न किया जाता है परंतु इस प्रविधि में सफलता की कोई विशेष निश्चितता नहीं होती है। इसकी भी तीन प्रविधियां है प्रथम मीन्स एंड एनालिसिस दूसरी वर्किंग बैकवर्ड और तीसरी एनालॉजी इन विधियों में वर्तमान स्थिति एवं लक्ष्य स्थिति का आकलन कर अनुमान के आधार पर समाधान तय किया जाता है। कुछ परिस्थितियां ऐसी होती है जहां हमें लक्ष्य तो पता होता है परंतु उस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु शुरुआत कहां से करनी है इसका ज्ञान हमें नहीं होता है ऐसे में वर्किंग बैकवर्ड प्रविधि का उपयोग करके एक एक चरण कम करते हुए वर्तमान स्थिति तक पहुंचा जाता है। एनालॉजी प्रविधि में हम अपने पिछले सफल अनुभवों का उपयोग किसी नई समस्या के समाधान में करते हैं।

यहां हमें कई प्रकार के समाधान उपलब्ध हैं इन समाधानो में से सबसे उत्तम तथा ऐसा समाधान जो आर्थिक रूप से उस बेरोजगार व्यक्ति पर सबसे कम भार पैदा करें ऐसा अवसर अथवा समाधान तलाशा जाएगा। 


6. छठा चरण परिणाम एवं प्रक्रिया विश्लेषण और अनुभवों का संश्लेषण

 छठा चरण संपूर्ण प्रक्रिया तथा उससे प्राप्त परिणामों के आकलन का एवं विश्लेषण का होता है इस चरण के अंतर्गत अपनाए गए सभी समाधान उपायों व युक्तियों का आकलन किया जाता है कि इनके प्रभाव किस प्रकार के रहे । क्या इन उपायों में कहीं कोई बदलाव भविष्य में किया जा सकता है अथवा इनके आधार पर निर्मित अनुभवों से अन्य समस्याओं के समाधान भी खोजे जा सकते हैं ? इन समाधान उपायों का मूल्य तथा उक्त समाधान से कैसी संतुष्टि प्राप्त हुई इसका विश्लेषण भी इस चरण में किया जाता है। यह चरण एक प्रकार से फीडबैक का चरण है जो संपूर्ण प्रक्रिया की जांच करता है एवं संभावित त्रुटियों अथवा सुधारात्मक सुझावों का प्रस्तुतीकरण करता है।

उपरोक्त उदाहरण के अनुरूप वह बेरोजगार व्यक्ति अपने कंप्यूटर कौशल के विकास हेतु यह निर्णय लेता है कि वह सरकारी कौशल केंद्रों पर जाकर अपने कंप्यूटर कौशल को बढ़ाएगा तथा 3 माह में बैंक से ऋण लेकर अपना जीवन यापन करेगा तथा सरकारी कौशल केंद्र पर न्यूनतम फीस भरकर वह अपना कौशल बढ़ाएगा और पुनः उसी कंपनी में कार्य ग्रहण करेगा जहां उसे तकनीकी कौशल की वजह से पुनः स्थापित भी किया जाएगा साथ ही इंक्रीमेंट भी दिया जाएगा उसी इंक्रीमेंट से वह अपने ऋण का भुगतान भविष्य में करेगा । इस प्रकार वो व्यक्ति अपनी विभिन्न समाधान श्रेणियों में से उस समाधान का चुनाव करता है जो उसके लिए न्यूनतम लागत वाला साबित हो साथ ही वह न्यूनतम समय में अधिकतम कौशल सीख सके ऐसा समाधान का चयन करता है।


आखिर में यह सवाल पैदा होता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं के प्रति किस प्रकार का दृष्टिकोण अथवा नजरिया रखना चाहिए ? इस प्रश्न का सामान्य उत्तर सभी के द्वारा इस प्रकार दिया जाता है कि आप अपना नजरिया एवं दृष्टिकोण सकारात्मक रखें परंतु यहां मैं इतना ही सुझाव देना चाहूंगा कि बिना समस्या को पूर्ण रूप से समझे अथवा किसी परिस्थिति को पूर्ण रूप से जाने बगैर प्रतिक्रिया करना, तथ्य हीन प्रतिक्रिया करना, विश्लेषण किए बगैर सुझाव ग्रहण करना एवं उन पर कार्य करना प्रारंभ कर देना कहीं ना कहीं समस्या को और बढ़ाता ही है।  जब व्यक्ति के पास किसी समस्या को लेकर उचित ज्ञान या जानकारी उपलब्ध नहीं होती है तो ऐसे में व्यक्ति सामान्य तौर से प्रयास एवं त्रुटि नीति का उपयोग करते हुए अपने अनुभवों का निर्माण करता जाता है एवं अपने पिछले अनुभवों में सुधार करते हुए स्वयं को व्यवस्थित रूप से समस्या के समाधान की ओर अग्रसर कर लेता है। समस्या का समाधान चरणबद्ध तरीके से अथवा अनुमान के आधार पर करना है इसका फैसला व्यक्ति का मस्तिष्क समस्या समाधान हेतु उपलब्ध समय को देखते हुए कर लेता है।


किसी भी प्रकार के परामर्श व सुझाव के लिए हमसे जुड़े हमारे सोशल मीडिया पेज पर

For any assistance, suggestions, or consultation, you can contact us. 

Call or Whatsapp Us               +918741824939
Email us your queries on         manoutthan@yahoo.com
follow us on Twitter as            @manoutthan @Ravikirtiwriter  
follow us on FB and Insta as   @manoutthan @dr.ravikirtididwania


Sunday, 26 April 2020

How to handle your child in the lock-down period, special reference to their studies and routine.


In the current situation of COVID-19, many governments have to call for lockdown. This lockdown brought many challenges to the families especially with freedom of visit outside. Many institutional facilities are compromised except in the virtual world. Only television and the Internet got overwhelming profits and the increasing number of customers. Here we are going to discuss the psycho-social impact on students' and parents' life and results of lockdown to the educational institutions i.e. Universities, colleges, schools, coaching classes, and hostels were shut down till further notice. Although educational institutes started online classes as the lockdown is being continued, but now there is a break in children's routines.


Impact of Lockdown:

Now let's talk about the impact of lockdown on parents' and students' life. Some impacts are positive and some negative. Roaming is paused and schools are closed. Now parents have to handle the whole family. Everyone is at home, full day with a lot of demands and complaints. Parents have already active in work from home. Housewives are counting increasing demands as everyone at home. We are also talking about children and teenagers with plenteous energy that stays at home. Routines are disturbed; new habits are developed may be good or bad. Productivity increased in creative students. Quality time increased between family members they are spending before lockdown. Screen Time increased while using a mobile, computer, or television. Interactions and encounters also increased between members of the family. General health precautions, sensitization, and hygiene also improved. Some lose to teenagers like exams postponed, vacation plans ruined, Peer physical support and peer appraisal limited to video calls. Non-creative students affected by frustration. Disputes also increased in some families due to an increase in expectation and interruption. Role pressure increased in parents to become a teacher and handle the children. Sports activities limited to indoor activities. Fast food and drinks are not available if somewhere it is available even under fear of infection. 


Handling The Child:

Parents also have to be ready for being a child side for better understanding. They have to play these roles, like the Guardian, Teacher, Coach, Student, and Player. 
  • The very first step you have to take as a parent is to prepare two schedules, one for every child and one for yourself including your job responsibility and official timings if you are doing work from home. 
  • Now decide and divide the responsibilities of being a guardian as a father or mother, teacher or coach, and student or learner. you must include these activities like physical, recreational, study (taught by you), homework, emotional and moral development, and one-hour free slot in the schedule. 
  • You must start to follow your schedule first. A child observes and learns through observational experiences.  
  • Understand the syllabus of your child. 
  • Stay connected with school teachers and coaches. 
  • You can also consult with the Psychologist about your child's age milestone that should be practiced. 
  • Check your child's performance by using previous test papers or milestone parameters. 
  • Find out weakness and strengths in your child (Subject wise)
  • Allow your child to make changes in his/her schedule but they can't skip any slot or task and activities. 


Free Slot Task and Recreational Activities: 

We believe in maximum utilization of a child's energy rather than it being wasted. we also believe in overall development. As I suggested to add one free time slot to the schedule will be including these activities which will help improve your child's mental, emotional, and physical state. 
  • Physical Activities include Exercise, Yoga, Assignments, and Projects. Indoor Games also considered if it covers hand and leg muscles use. 
  • Expressive Art and Craft let them color, paint, sing, and dance with different emotions. 
  • Give them work to write creative ideas and work on them in a free slot.
  • One day Leader and everyone else in the home will be a follower. with some basic rules. enjoy this play and discuss it in groups. Make your child as a teacher, coach, or father-mother. 
  • Play quiz and reward (i.e. give Homemade treat) 
  • Family seminar webinar to share fun and joy. 
  • Tell a story (Mythological, Patriotic, Motivational, etc. ) 
  • Let your child be creative by using their ideas and let them improvise their problem-solving skills. 

Do not forget to follow and share the post (Like us on FB)

For any assistance, suggestions, or consultation, you can contact us. 

Call or Whatsapp Us               +918741824939
Email us your queries on         manoutthan@yahoo.com
follow us on Twitter as            @manoutthan @Ravikirtiwriter  
follow us on FB and Insta as   @manoutthan @dr.ravikirtididwania




Wednesday, 22 April 2020

How to Release Fear of Being Infected


    
संक्रमित होने के भय से पाए निजात 
        वर्तमान में कोरोना महामारी ने वैश्विक भय का वातावरण निर्मित कर दिया है हालाँकि इस वाइरस जनित रोग की जाँच तो उपलब्ध है मगर अभी इसका उपचार का टीका विक्सित नहीं किया जा सका है l यह उस दुश्मन के समान है जो कही ऐसा छुप कर छद्म रूप में बेठा है कि बाहर निकलने पर कब हम पर हमला कर दे पता नहीं जैसे कोई स्नाइपर शूटर l संक्रमित होने के कई खतरों पर सरकार द्वारा समय समय पर एडवाइजरी जारी कर सामाजिक जागरूकता पैदा करने की कोशिश की गयी है l यह वाइरस उम्र जाती धर्म लिंग के भेद से परे है यह किसी घनिष्ट संक्रमित व्यक्ति से भी आपको हो सकता है चाहें वह कितना भी आपकी परवाह करता हो l इस वाइरस की अनुमान तथा सम्भावना को हम अभी कम ही समझ पाए है l ऐसे में कई देशो की सरकारों ने देश व्यापी बंद का लॉक डाउन का आह्वान किया है l यह एक चिकित्सकीय सामाजिक आपातकाल है जो हो सकता है कल आर्थिक आपातकाल के रूप में परिलक्षित हो परन्तु यह तो पूर्णरूपेण स्पष्ट है कि इसके लिए कितने व्यक्ति सुरक्षित तथा जीवित रहेंगे l यह सब आपकी संयमता तथा सुरक्षा भावना की समझ पर निर्भर करता है l
      एक मनोवैज्ञानिक के रूप में मैं दो मुद्दों पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा l पहला कोरोना संक्रमित होने का भय तथा दूसरा लॉक डाउन का उपयोग तथा कोरोना संक्रमण के भय से कैसे निपटे l पहला मुद्दा वर्तमान में बड़ा ही सामान्य रूप से समाज में अपने पाँव पसारता नज़र आ रहा है, एक तरफ वाइरस की अस्पष्ट जानकारी तथा दूसरी तरफ लॉक डाउन में न्यूज़ चैनलों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ो से उत्पन्न हुयी चिंताएं तथा इसकी वेक्सीन की खोज ना हो पाना आदि इसके भय को उतनी है तेजी से बढ़ा रहे है जैसे इसके केस बढ़ रहे है l स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ो के अनुसार इस महामारी के संक्रमण का खतरा सर्वाधिक रूप से कमजोर रोगप्रतिरक्षण क्षमता वालो को हैl ऐसे में बुजुर्गो तथा पहले से अस्वस्थ चल रहे लोगों तथा उनके परिवारों में अत्यधिक भय व्याप्त है l

भययुक्त वातावरण से कैसे निपटे

  • सर्वप्रथम आप अपनी सभी व्याधियों एवं कोरोना के लक्षणों को स्पष्ट रूप से समझेंl हर लक्षण का सामान्यीकरण कोरोना से ना करे l
  • जाँच करवाने से हिचकिचाये नहीं क्योंकि जितना जल्दी रोग का पता चलता है उसपे नियंत्रण पाना उतना आसान रहता हैl
  • सरकार के निर्देशों का पालन करें स्वच्छता, सामाजिक दुरी, चहरे को चुने से बचना, मास्क का उपयोग तथा घर पर रहने के नियमों का पालन करे l
  • चिंता व्यक्तिगत रूप से सर्वप्रथम आपके दिमाग में पैदा होती है उसके
    पश्चात् यह एक से दुसरे तक नकारात्मक परिवेश निर्माण करके स्थानान्तरित होती है अतः अपनी चिंतन प्रक्रिया तथा अपनी प्रकृति के अनुरूप ही खबरे देखे तथा आंकड़ो का विवेचन स्वयं नहीं करे l
  •  मिथ्या सूचनाओ भ्रामक खबरों तथा youtube विडियो से बच के रहें l
  • घर में रहे, यह सोंचे की आपने घर का निर्माण या चुनाव सुरक्षा की दृष्टी से ही किया हैl
  • रचनात्मक कार्यों में स्वयं को लगाये l
  • जैसे स्वयं को स्वस्थ रखने के लिये बेहतर भोजन करते है वैसे ही स्वयं के मस्तिक्ष को भी स्वस्थ व सुरक्षित विचारों तथा भाव को अपनाने दे तथा नकारात्मकता से दूर रखे l
  •  भय अस्थायी है अतः अपनी सकारात्मकता हेतु स्वयं जिम्मेदारी लेवेl


लॉक डाउन समय में क्या करें
मेने कई लोगों से परामर्श कालांशों के दौरान परिवार अथवा स्वयं को समय दे पाने की असमर्थता को सुना है व समझा है l वर्तमान में अवश्य ही लॉक डाउन अवकाश के रूप में नहीं बल्कि आर्थिक व सामाजिक संकट के रूप में प्रकट हुवा है परन्तु यह अवश्य जान लेना चाहिए कि चुनोतियों से जंग जिन्दा रहकर ही जीत पायेंगे l अभी तो परिवार को देने के लिये मिले अवसर का उपयोग करे क्योंकि दुरुपयोग तो हमने अपने प्रकृति माँ का भी काफी किया है l सुरक्षित बचे तो हर संकट को हर लेंगे परन्तु कहीं लापरवाही या बौखलाहट हमें न हर ले l

  • अपने व्यक्तित्व की कुछ छुपी प्रतिभाओ को खोजे तथा उसको तराशे l 
  •  सृजनात्मकता को अपनी दैनिक दिनचर्या में जोड़ेl
  • नये वर्ष पर लिये संकल्पों को पूरा करें अगर घर पर संभव है तो l
  • योग तथा सामान्य कसरत करें तथा संतुलित भोजन करें l 
  • पारिवारिक मंडली बनाये (सामाजिक दुरी का पालन करते हुये) तथा अपने बड़े बुजुर्गो या दोस्तों से उनके जीवन के रोचक अनुभवों पर चर्चा करेंl
  • प्रेरणा स्त्रोतों की सूची बनायें तथा उनसे नवीन गुणों का अभिधारण करें l
  • सर्वाइवल पर बनी फिल्में देखे और उनके संघर्षो पर पार पाने के उपायों को देखे किरदारों की परिस्थितियों को समझे l
  •  रोल एक्सचेंज वर्क आउट करे प्रत्येक दिन अलग अलग जिम्मेदारियों का वहन करें l
  •  पूर्ण रात्रिकालीन शांतिपूर्ण सन्तुष्ट नींद का लाभ उठाये l 
  • घर में उपलब्ध सामग्री का उपयोग बड़ी सावधानी से करे तथा इसकी चर्चा अपने बच्चों से भी करें हो सकता है वो आपको कुछ नये उपाय बता पायें l
 किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या के लिये समय पर परामर्श प्राप्त करें l सरकार द्वारा RCI की वेबसाइट पर मनोवैज्ञानिको की सूची जारी की है जो आपको टेलेफोनिक परामर्श प्रदान कर पायेंगे l आप अपने क्षेत्र के मनोवैज्ञानिको की सूची वहीँ से प्राप्त कर पायेंगेl

#COVID19
#MentalHealth
#FearofInfection
#Manoutthan 
#StayHomeStaySafe 
#StayPositive